STORYMIRROR

Shruti Sharma

Abstract Inspirational Children

4  

Shruti Sharma

Abstract Inspirational Children

भगत सिंह

भगत सिंह

1 min
351

बचपन से रागों में ज्वाला उसने आज़ादी की जलाई थी

अंग्रेज़ों को भगाने के ख़ातिर खेतों में बंदूक उसने उगाई थी

फिरंगी अत्याचारी थे

अब कोई ज़ुल्म ना सहने की कसम उसने खाई थी

भूखा रह उसने झुका दिया अंग्रेज़ों को

लोगों में अब आजादी की भूख और क्रांति की लहर उसने जगाई थी

गांधी अहिंसा पर अडिग था पर आज़ादी क्रांति माँगती है

माटी का फर्ज करने को अदा उसने अपनी जवानी दाव पर लगाई थी

लोग कहते हैं आजादी चरखे ने लायी थी

नहीं जनाब आप गलत हैं

आज़ादी तो लहू और बलिदानों से आई थी

कितनी बही खून की नदियाँ कितनों ने जिंदगी अपनी गवाई थी

ये मुफ़्त में नहीं जनाब कर्जों में आजादी आयी थी

जो भर चुका है अब इकलौता वो आज़ादी का ज़ख्म था

उसे उन ज़ख़्मों का क्या दर्द भला

जिसने बेड़ियों में गुलामी की चोट खाई थी

और जनाब भगत अमर है

भगत शहीद नहीं हुआ था उस दिन जनाब

जिसने लगाया गले उस फाँसी के फंदे को मौत आयी थी 


రచనకు రేటింగ్ ఇవ్వండి
లాగిన్

Similar hindi poem from Abstract