सादगी की सहजता
सादगी की सहजता
कहते हैं बोलने से पहले तोलो
चरैवेति चरैवेति के चलन में चलो
अंतहीन शिक्षा में कुछ तो पढ़ो
लिख पाओ तो कुछ तो लिखो
मन में दबी गांठों को खोलो
जीवन में यथार्थ मूल्यों को न भूलो
समय की मांग पर ध्यान धरो
सम्बन्धों में आई दरारें भरो
कहां जाते हो कुछ तो कहो न
किस लिए जाते हो कुछ बताओ न
घुटते-कुंठित सोचों से निकलो न
मन-मुटाव के सन्नाटे तोड़ो न
मनोद्वारों पर कुछ तो खटकता
न बोलने की कुछ तो विवशता
अन्तर्मन की पुकार तो सुनते हो
इसमें निहित तथ्य क्यूं झिझकता
सादगी सहज या सादगी में सहजता
उसकी संवेदनशीलता तो समझो न
कोमल मन तो कोमल ही रहेगा
कोमलता से इसे सींचो न।