Vijay Kumar parashar "साखी"
Classics
ये हमारी कैसी मजबूरी है
इंसान की इंसान से दूरी है।
वो क्यों कहते फ़िरते हैं
हमारी ही जाति सिर्फ़ पूरी है।
भगवान तो हमने बनाया,
बाकी राम ने तो खाये
शबरी के बैरों की भी धुरी है।
"गोवंश पर अत्...
"चमत्कार"
"दौर मुफ़लिसी ...
"दुआ-बद्दुआ,
"आंटा-सांटा"
"सिंदूर"
"बरसात"
"शांत और स्थि...
"दोगले इंसान"
गर तुम नहीं तो सबकुछ लगता खाली खाली, कुछ भी नहीं...! गर तुम नहीं तो सबकुछ लगता खाली खाली, कुछ भी नहीं...!
शुभ संकल्प रंग लाएगा एक दिन यह रखें सुखद अहसास। शुभ संकल्प रंग लाएगा एक दिन यह रखें सुखद अहसास।
आजकल सूरज कम ही निकलता है... और आज तो हवा मे ठंडक भी है। आजकल सूरज कम ही निकलता है... और आज तो हवा मे ठंडक भी है।
फिर मित्र बादल को बुलाएंगे, छमाछम बरसाएंगे, उसकी प्रेमिका, धरती से मिलवाएंगे। फिर मित्र बादल को बुलाएंगे, छमाछम बरसाएंगे, उसकी प्रेमिका, धरती से मिलव...
बीते हुये कल को भुला कर नये उम्मीद से हम मिले।। बीते हुये कल को भुला कर नये उम्मीद से हम मिले।।
उस अन्तिम मिलन में वो अश्कों का रेला बहुत याद आती विरह की वो बेला ! उस अन्तिम मिलन में वो अश्कों का रेला बहुत याद आती विरह की वो बेला !
जबतक है जान ... गर हो सके तो उसके वाद भी ...... जबतक है जान ... गर हो सके तो उसके वाद भी ......
शबरी आशा राम मिलेंगे। कब तक मोहि न राम मिलेंगे।। शबरी आशा राम मिलेंगे। कब तक मोहि न राम मिलेंगे।।
वादा ए वफ़ा में नहीं मिलते फरहाद कोहकन कई लोग। वादा ए वफ़ा में नहीं मिलते फरहाद कोहकन कई लोग।
हार का डर अब मुझे रोने नहीं देते, सपने अब मुझे सोने नहीं देते।। हार का डर अब मुझे रोने नहीं देते, सपने अब मुझे सोने नहीं देते।।
वो क्या था जमाना अब सोच कर हम सब हंसते हैं। क्या आज वाले बच्चे कभी इतना सुन सकते है। वो क्या था जमाना अब सोच कर हम सब हंसते हैं। क्या आज वाले बच्चे कभी इतना सुन स...
मेरे मन संभल जा न गिर किसी की निगाह में।। मेरे मन संभल जा न गिर किसी की निगाह में।।
"मुरली"में प्रेम का राग बजाकर, मेरे दिल में तुझ को समाना है। "मुरली"में प्रेम का राग बजाकर, मेरे दिल में तुझ को समाना है।
देखा उसे कब से उस घड़ी तक आजमाया जा रहा है। देखा उसे कब से उस घड़ी तक आजमाया जा रहा है।
प्रीतम भी साथ तेरे पागल हो के नाचता है। प्रीतम भी साथ तेरे पागल हो के नाचता है।
कहीं करती होगी वो मेरा इंतजार जिसकी निगाहों में मेरे दिल का है करार। कहीं करती होगी वो मेरा इंतजार जिसकी निगाहों में मेरे दिल का है करार।
खुद ही खुद की तारीफ़ में मुँह से आह..न उठे तो कहना। खुद ही खुद की तारीफ़ में मुँह से आह..न उठे तो कहना।
वो को है, वो को है मैंने गौर से देखा, वो मेरी माँ है।। वो को है, वो को है मैंने गौर से देखा, वो मेरी माँ है।।
हैं असीमित ख्वाब लेकिन पास कुछ ही धड़कनें। हैं असीमित ख्वाब लेकिन पास कुछ ही धड़कनें।
बस त्योहार, पारिवारिक प्रसंग में सबको साथ लाने के लिए है रस्में। बस त्योहार, पारिवारिक प्रसंग में सबको साथ लाने के लिए है रस्में।