मैंने तुझे क्या समझा
मैंने तुझे क्या समझा
मेरे प्यार को तूने
एक फ़साना समझा
दो कदम की दूरी को तूने
एक फ़ासला समझा
मेरे बढ़ते हाथ को तूने
एक सपना समझा
मेरी बेरुखी को तूने
मेरी आवारगी समझा
मेरे दिल की हर उठती
आवाज़ को तूएक भूला गीत समझकभी भी न सोचा तू ने मैंने तुझे क्या समझा
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