दुनिया सिया को करे न कलंकित अग्निपरीक्षा थी उचित दुनिया सिया को करे न कलंकित अग्निपरीक्षा थी उचित
प्रज्वलित हुआ गुरू रूपी दीपक जब, अज्ञान तिमिर सारा लुप्त हुआ। प्रज्वलित हुआ गुरू रूपी दीपक जब, अज्ञान तिमिर सारा लुप्त हुआ।
बंधे है हम सभी उसी, प्रेम के बंधन से, बंधे है हम सभी उसी, प्रेम के बंधन से,
मन के दर्पण में महक उठा मेरा जीवन। मन के दर्पण में महक उठा मेरा जीवन।
मानव मानवता की खातिर जीवन में स्वीकार करो प्रथम प्यार।। मानव मानवता की खातिर जीवन में स्वीकार करो प्रथम प्यार।।