सीता की अग्निपरीक्षा कबतक
सीता की अग्निपरीक्षा कबतक
सीता का चरित्र है पावन
महिलाओं हेतु आदर्श
पत्नियों के लिए उदाहरण
जिसे सुन है होता हर्ष।
राज्य भोग को सुख नहीं माना
पति संग को माना सुख
लंका में भी पति ध्यान में
सहती रहती भारी दुख।
अग्निपरीक्षा को कुछ सज्जन
कहते राम का अत्याचार
पर मैं ऐसा नहीं मानता
सुने मेरा यह विचार।
दुनिया सिया को करे न कलंकित
अग्निपरीक्षा थी उचित
इसके बाद भी एक धोबिन का
साफ न हो पाया था चित्त।
अगर परीक्षा यह नहीं होती
दुनिया तब उनको क्या कहती ?
सती होकर भी होती कलंकित
तरह तरह की बात निकलती।
धोबिन की बातों में आकर
नहीं सिया को मिला वनवास
धोबिन जैसे दुष्ट जनो से
दूर था रखना मकसद खास।
अग्निपरीक्षा से सीता जी
चमकी और विशुद्ध होकर
जैसे सोना आग में तप कर
निकलता परिशुद्ध होकर।
जबतक जनता रहेगी वैसी
अवधपुरी की धोबिन जैसी
अग्निपरीक्षा देनी होगी
सती नारियों को सीता जैसी।।