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Er. Pashupati Nath Prasad

Inspirational

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Er. Pashupati Nath Prasad

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अरबी और फारसी में हिन्दू का अर्थ चोर कर्मों है ?

अरबी और फारसी में हिन्दू का अर्थ चोर कर्मों है ?

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एक बात अजब हम पाते हैं,

 सब लोगों को बतलाते हैं।


 बिना पैर जो सब जगह,

वह सर्वव्यापी में आते हैं,

 एक पैर रख नहीं चले,

 वे जडृ पादप कहलाते हैं,


चार पैर रख कर के भी 

पशु दूर नहीं जा पाते हैं,

दो पैरों का मानव जन

कहां से कहां चले जाते हैं,

एक बात अजब हम ....।


इसी तरह पश्चिम के मानव 

सिंधु पार कर आते थे,

कुछ चोरों के द्वारा अपना 

धन मान गवांते थे,

अपने वतन लौट कर के

 जब ये बातें बतलाते थे,

सिंधु शब्द का अर्थ वहां 

सब मानव चोर लगाते थे,

एक बात अजब .....।


कालक्रम में यही शब्द 

अपभ्रंश हुआ है हिंदू में,

कुछ दुष्टों के कारण इसमें 

दाग है जैसे इंदु में,

यहां की बातें ऐसी कि 

लोग नहीं रुक पाते हैं,


यहां की जलवायु मिट्टी 

से खींचे चले आते हैं,

एक बात अजब .....।


बड़े-बड़े शूरमा आए,

पर टिक नहीं यहां पाए,

 हीरा मोती रत्न ले गए,

 फिर भी नाश नहीं लाए,


 ग्रंथ यहां के ले जाकर भी 

 यह परिवेश नहीं पाए,

शुभ्र बहुत बातें यहां है,

 कितना यहां बतलाए,

एक बात अजब ......।


आज यह धरती एक शब्द में 

हिंदुस्तान कहलाती है,

मन उद्गार यहां का भाई 

हिंदी ही बतलाती है,


हिंदी आज राजभाषा है,

यह कविता भी हिंदी में,

भारत में हिन्दी वैसी है

जैसे नारी बिंदी में,

एक बात अजब ......।


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