बरगद की छांव
बरगद की छांव
मेरे गाँव से कुछ हटकर,
खड़ा पेड़ एक परती पर,
बरगद का यह पेड़ पुराना,
देख चुका है कई जमाना।
गहरी जड़ व मोटा धड़,
सभी दिशा में सखा-तना,
देखने में लगता है ऐसा,
जैसे कोई छाता तना।
गाँव में आयी सभी बारात,
यहीं पर बिताती रात,
यहीं पर तनता शामियाना,
महफिल में हो नाच व गाना,
गर्मी के जब दिन है आते,
छांव तले लोग आ जाते।