क्योकि हैं वो भी सपूत इसी धरती के , उत्पन हुए वो भी प्रकृति के ही बीज से! क्योकि हैं वो भी सपूत इसी धरती के , उत्पन हुए वो भी प्रकृति के ही बीज से!
रहना है हमें अब सावधान भेड़ियों की हर चाल का भांपना है अब हमें , उनसे पहले , वो सोच रहे ! रहना है हमें अब सावधान भेड़ियों की हर चाल का भांपना है अब हमें , उनसे पहले ,...
तोड के सब जंजीरें रेत से लिपट जाना चाहती हूं मैं जीवन रंगना चाहती हूं। तोड के सब जंजीरें रेत से लिपट जाना चाहती हूं मैं जीवन रंगना चाहती हूं।
भारत के सम्मान को तुम शिखर पहुँचाते हो। भारत के सम्मान को तुम शिखर पहुँचाते हो।
थी हमेशा हिम्मत डंडा खाने की , सिर तोड़वाने की , और उफ़ ना करने की! थी हमेशा हिम्मत डंडा खाने की , सिर तोड़वाने की , और उफ़ ना करने की!
ये और बात है कि बन्धनों को पालती एक मज़बूत दीवार हूँ ! ये और बात है कि बन्धनों को पालती एक मज़बूत दीवार हूँ !