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sunil saxena

Inspirational

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sunil saxena

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हम हैं माँ​​​​ भारती

हम हैं माँ​​​​ भारती

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वो आये हैं ताली बजाते हमें मच्छर समझ के मारने

ना जाने वो एक मच्छर भी बना देता है आदमी को हिजड़ा

भूल गए वो , बीते समय में एक मच्छर ने ही गिरा दिया या था बाज़ को ज़मीन पे

भगा दियाया था बाज़ को आसमान की ऊंचाइयों से धरती के थल पे

जो ना जानो वो हमें है सम्मान वीर शिखण्डी का भी

बना लो बत्ती अपने परमाणु बम  की डाल के अपने ही पीछे के आँगन में

जो चुभेगा तुम्हे ही बनके नासूर तुम्हारे आँगन में

न सूंघ पाओगे , न देख पाओगे अपने नासूर को ,

बजाते रहोगे ताली केवल बना के अपने को एक कवाली

ना तो मरेगा मच्छर , बस बन जाओगे तुम खच्चर

जो ना जानो तुम , हम हैं ब्रह्मास्त्र के भी संरक्षक

ह्रदय में है हमारे , मान , हर वीर का

करते हैं हम स्नेह हर भेड़िये , गुंडे , साहूकार , का भी

क्योकि हैं वो भी सपूत इसी धरती के , उत्पन हुए वो भी प्रकृति के ही बीज से

बन गया दरिंदा उंगली मार भी , बुद्ध का शिष्य , ह्रदय से उत्पन प्रेम और स्नेह की , बुद्ध की वाणी से

सर्व विनाश कर के , स्त्री शक्ति के सामने , वीर सम्राट भी बना बुद्ध का भक्त , जाग उठा उसमे भी इंसान

स्वच्छ है आत्मा , सिद्ध कर दिया वीर सम्राट और उंगली मार ने

आज एक सुधरेगा और एक बिखरेगा समय के आभास में

संख्या शक्ति बल है , पर वो भी जाती है बिखर , सूत्रधार की भूल में , उसके बल के घमंड में

मच्छर भी प्रकृति से उत्पन है , बल है उसमे भी बड़े बड़ों को गिरने का , सभ्यता को ख़तम करने का , जो कर ना सके विशाल गजराज भी

संख्या उसकी भी है बहुत अधिक , पड़ जाता है वो भी सब पे भारी

क्या गुंडा , क्या साहूकार , क्या भेड़ियों का झुंड , सब हैं इसी पृथ्वी के वासी

जो ना जानो वो , मच्छर सब पे पड़ेगा भारी

रहतें हैं वो भी संख्या के झुंड में , वीर होते हैं वो भी अपने ही बल पे

सुधर जाएँ वो अपने ही मन से , बिक गए वो साहूकार के फ़न पे

बिका हुआ इस्तेमाल कीया जाता है अपनी जागीर समझ के , फ़ेक दिया जाता है अपनी जागीर समझ के

ना खड़ा हुआ  वो , ना बड़ा हुआ वो , केवल बिका हुआ रह गया वो

बना दे अब वो वहाँ गांधार राज्य , वीरों के समर्थ सहयोग से

मिल जाएँ अपनी धरती के अंग से , अपने ही मन से

हर स्नेह , मान , सम्मान , है , अभी भी हमारे दिल में , उनके लिए , वो हमारे ही बीते हुआ कल हैं 

बढ़ चलें आगे साथ में , हर चुनौती को पार करने , साथ में मिल कर , रोम रोम को मिला कर

हम हैं इसी धरती के वासी , बसती है हमारे दिल में माँ भारती की ही वाणी , अनंत समय से

पीछे मुड़ के देखे तो खड़े मिलेंगे हम ही उन्हें , उनके साथ , एक ही घर में , एक ही धर्म में , एक ही धरती के गर्भ में , जिनसे उत्पन हुए हम सब

समय अनंत है , बीते कल से हैं एक , आते कल में होंगे एक

इतिहास गवाह होगा आते समय के साथ

ना हम होंगे , ना तुम होगे , होगे कोई और समय में हमको करने एक

बिक के जीने , मरने में , ना कोई गौरव , ना कोई गर्व

फर्क सिर्फ इतना है , तुम तोड़ना चाहते हो , हम जोड़ना चाहते हैं

हम हैं माँ भारती और तुम हो बिके हुए

अपनों के साथ आ के आगे बढ़ने में है अभी दर्द

दूर करो इस पीड़ा को , पूछों अपने दिल से , कहाँ है मान  तुम्हारा जीने में

साहूकार के फेंके सिक्के में दबे होना , या सम्मान के साथ सर उठा के जीना अपनों के साथ

हम बाध्य हैं अपनी धरती के सपूतों के सम्मान से जीने में हाथ बटाना

इंसान को इंसान की नज़र से देखना , ना की पैसों की झोली से तौलना

ना उनके पास कोई कुबेर की तिजोरी

पैसों की झोली भी फटेगी समय में

ना रहोगे इधर के , ना रहोगे उधर के

जो ना जानो तुम , हम हैं कुबेर के भी भक्त

करेंगे हम ही सपने साकार , एक नए सवेरे , अपनों का साथ दे के

पहचानो तुम अपनों को और साहूकारों को , वरना समय के साथ तुम भी धूल में मिल जाना , फ़ेके पैसों के भार में

इतिहास स्थिर नहीं , समय का अंत नहीं

हम फिर मिलेंगे , समय के किसी मोड़ पे

आएगा कोई हमें सम्पूर्ण बनाने , गौरव से जीने हमें सीखाने

अधूरे रह जायेंगे कई झोली के काम , बसा रखें हैं उसने अपने घर में भी कई बुझे हुए नाम 

झोली ना संभलेगी जो लग गया है चीरा , फट जायेगा आसन , बह जायेगा पसीना

जो ना जानो तुम , हम हैं शनि के भी भक्त

हम संसार में आये हैं , संसार के लिए , मान के लिए , सम्मान के लिए ,

प्रेम के लिए , स्नेह के लिए , विचार के लिए , मंथन के लिए 

कार्य के लिए , कर्म के लिए , कर्तव् कर्म के लिए , सुधार के लिए , उद्धार के लिए

भक्ति के लिए , भक्त के लिए , देव के लिए , दिव्य के लिए

धरती के लिए, प्रकृति के लिए

जो ना जानो तुम , हम हैं देव इन्द्र के भी भक्त

मच्छर भी पृथ्वी का ही वासी है , बलशाली है सब पे भारी है

ब्रह्मा देव का ही प्रभारी है 

जो ना जानो तुम , हम हैं ब्रह्मा के भी भक्त

देते हैं सम्मान सबको , हर वक़्त ,  बन के केवल भक्त

जो ना जानो तुम , हम हैं पृथ्वी के भी भक्त

हम हैं माँ भारती!

 

 

 

 

 



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