क्योकि हैं वो भी सपूत इसी धरती के , उत्पन हुए वो भी प्रकृति के ही बीज से! क्योकि हैं वो भी सपूत इसी धरती के , उत्पन हुए वो भी प्रकृति के ही बीज से!
रहना है हमें अब सावधान भेड़ियों की हर चाल का भांपना है अब हमें , उनसे पहले , वो सोच रहे ! रहना है हमें अब सावधान भेड़ियों की हर चाल का भांपना है अब हमें , उनसे पहले ,...
थी हमेशा हिम्मत डंडा खाने की , सिर तोड़वाने की , और उफ़ ना करने की! थी हमेशा हिम्मत डंडा खाने की , सिर तोड़वाने की , और उफ़ ना करने की!