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sunil saxena

Abstract

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sunil saxena

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हम हैं सावधान

हम हैं सावधान

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वो बना रहे हैं खट्टी मीठी बातें , 

पर वो जाएँ केवल हेरा फेरी से , और सीना जोरी से

आज. वो बना रहे हैं मीठी मीठी बातें , ताकि कल कर सके हमारी पीठ पे वार

अब ना झुकना है हमें , ना रुकना है हमें , अपने संकल्प पे , बढ़ाना है अपना समर्थ , अपने ही बल पे

नज़रें नहीं हटानी हैं अब उन पर से , भेड़िए फिर लौट के आएंगे अपने शिकार को निर्बल समझ कर

अब बन जाना है हमें , उनके लिए , शिकार से इंसान , जो है सबसे बड़ा शिकारी

करना है अब हमें उनका शिकार बन के इंसान

सुधारना है अब उन्हे , इंसान बन के

हो. गई अब गुंडे और साहूकार की मनमानी बहुत ,

अब करना है उनका ह्रदय परिवर्तन इंसान की भांति , साथ में लेकर और मित्रों का साथ

यदि वे सभ्य होंगे  , तो वे समझेगे , समल जाएंगे

और यदि वे केवल भेड़ियों की भांति ही रहना चाहतें हैं

फिर बात करेंगे. हम उनसे केवल वीरों की भांति

ना खो देना अपने देश का भाग्य विरासती झल्लौं के हाथ में

जिनके पूर्वज थे कभी किसी बीते समय में हमारे रोशन चिराग , हमारे विराट सारथी

पर आज , वो समय बीत गया , और वो बन गए हैं आज केवल नालायक विद्यार्थी

जो हैं वो आज , ना काम के , ना धाम के , ढाई सेर कबाड़ के , धरती के बोझ

और रह जाएंगे वो केवल पांचों की ही संख्या में , समय के आभास में

अब समय आ गया है शूरवीरों को और भी शक्तिशाली बनाने का

उनके कदमो के पीछे और वीरों को खड़ा करने का

बनादो अब एक भारत सुरक्षा सेना , तीनो दिशाओं में , केवल अपने ही मस्तिष्क के समर्थ के बल पे , न की और मित्र वीरों के दम पे

संख्या बड़ा दो अपने शूरवीरों और वीरों की , गति के साथ , पंचमुखी जितनी , अपने ही मस्तिष्क के समर्थ के बल पे

शूरवीरों को है हमारे अनेक वीरों के समर्थ का साथ

अब उड़ने के लियें तैयार रहो आसमान में तेजस की तरह अपने ही दो पंखों पे , न की मित्रों के पंखों पे

उड़ना है संख्या में तेजस की भांति अपने ही दो पंखों पे , अपने ही दम पे

और मित्र वीरों के पंखों पर भी सवार होना है , पर अपने तेजस के पंखों को बराबरी में साथ उड़ा के , संख्या में

हर कोई तो नहीं बन जाता अर्जुन की भांति भारी भरकम योद्धा अपने ही दम पे

पर हम बन तो सकतें हैं , अर्जुन से हलके योद्धा कई संख्या में ,

शूरवीरों के पीछे वीरों की भांति खड़े होने, अपने ही दम पे

अपने ही मस्तिष्क के समर्थ के बल पे , अर्जुन से प्रेरणा लेकर

 ताक में बैठें हैं साहूकार और गुंडे , हमारी पीठ में वार करने को

ना देना उन्हें कोई मौका अब हमपे आँख उठाने की

बना दो अब एक रानी लक्ष्मी बाई सेना , स्त्री शक्ति का स्वरुप ,

तीनो दिशाओं में , केवल अपने ही समर्थ के बल पे

जो देंगि साथ शूरवीरों और वीरों का हर कदम पे

अपने बल को हथेली पे रख के हर वार का वो भी देंगे पलटवार

भगा दो अब भेड़ियों को अपनी मात्र भूमि से

बढा कर अपना समर्थ अपने ही मस्तिष्क के बल पर

अब बनानी है हमें एक और प्रबल , वीरों की , वीर शक्ति सेना ,

अपने ही मस्तिष्क के बल पर , तीनो दिशाओं में

जो होंगे शूरवीरों के आगे , तीर की नोक की भांति

अपने लक्ष्य को चीरने के लिए

जो ना जाने वो की हम हैं कार्तिकेय के भी भक्त

बनानी है हमें अब गरुड़ सेना , जो करएगी बादलों से बात,

बिना वीरों के , पर बैठें होंगे वीर धरती पे सीना तान , गरुड़ से बातें करते , बन के घातक

रच देना है अब चक्रव्यूह , संख्या में वीरों के बल का , अपने ही मस्तिष्क के समर्थ पर

ना आएंगे अब हम , साहूकार की किसी कुटिल बातों में

जो अब जान गए हैं हम , वो केवल पीना चाहतें हैं हमारा रक्त , गुंडे के साथ मिलकर

ना खोलएगे अब हम दरवाज़ा अपने घर का ,

साहूकार की सवरी , निखरी झूठी बातों में आ कर

अब बढ़ाना है हमें अपना समर्थ अपने ही दम पर

बढ़ चलना है हमें आगे अब साहूकार को पीछे छोड़ कर

ना देना है अब कोई बल उसे हमारी ही छाती पे पैर रख कर

अब खड़ा होना है हमें अपने पैरों के बल पर , अपने ही मस्तिष्क के समर्थ पर

छोड़ आए हैं अब हम भेड़ियों को पीछे , अपने ही समूह के साथ रहने ,

अपने ही समूह के बल को बढाने

अब बढे चलना है हमें आगे नई दिशा में , दृढ़ संकल्प के साथ

अपने ही समर्थ के बल को आगे लाने का लिआ है हमने अब प्रण

रहना है हमें अब सावधान भेड़ियों की हर चाल का

भांपना है अब हमें , उनसे पहले , वो सोच रहें क्या

बढाना है अब हमें आगे अपने ही मस्तिष्क के समर्थ के बल पर ,

मित्रों को साथ लेकर , अपनी सोच से सोच मिलाकर 

रहना है अब हमें सावधान उनकी हर चालों से ,

उनकी हर मीठी बातें से , उनके हर छल से

अब हम हैं सावधान

हम हैं सावधान

 


 


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