तुम स्त्री हो { 2 }
तुम स्त्री हो { 2 }
इस जीवन की रचना तुमसे है
तुम जीवन सूत्र की रचिता हो
तुम दिव्य संजोग हो
तुम देविका हो
तुम स्त्री हो
तुम जीवन का, स्रोत हो
तुम जीवन का श्लोक हो
तुम माया हो , मोह माया हो
तुम आशा हो , अभिलाषा हो
तुम दिल का, जोश हो
तुम दिव्य हो
तुम स्त्री हो
तुम अदा हो
तुमपे सब फ़िदा हैं
तुम खिलाड़ी हो
और हर खिलाड़ी एक ड्रामा भी है
तुम ड्रामा हो
प्रेम का दामन हो
तुम स्त्री हो
तुम मन का मीत हो
दिल का संगीत हो
जल सी शीतल हो
तुम राधिका हो
तुम स्त्री हो
तुम गहना हो
सौंदर्य का आभूषण हो
मन की शान हो
नैनो का बाण हो
आँखों का मान हो
आँसुओं की बाढ़ हो
मगरमछ के आँसु की आन हो
मन के समीप हो
तुम चंचल हो
तुम स्त्री हो
तुम हर दिल की आस हो
तुम केश हो
हवा में बहती ख्वाइश हो
तुम सुगंध हो
केशव के बालो में मयूर पंख हो
भगवन के चरणों का पुष्प हो
तुम दिव्य हो
तुम स्त्री हो
तुम सुन्दर होठों की लाली हो
उनपे झलकती नटखट मुस्कान हो
तुम अती सुंदरी की ऊंची नाक हो
उसमें से बहती सांस हो
तुम दिव्य अप्सरा के हसमुख गाल हो
तुम जीवन हो
तुम स्त्री हो
तुम आँखों का काजल हो
हर नज़र की आस हो
तुम नयन हो
तुम दृष्टि हो
तुम कोमल कान में बहती मधुर वाणी हो
कान की शान , सोने की बाली हो
तुम आसमान में चमकता इंद्रधनुष हो
तुम स्वर्ग में मयूर की लचकती रंगीन गरदन हो
तुम पलकों पे बल खाती घटा हो
तुम हर दिल में धड़कती आवाज़ हो
तुम देविका हो
तुम स्त्री हो
तुम गन्धर्व के सुरों की सुरीली ज़ुबान हो
तुम सुर हो , तुम वाणी हो , तुम मधुर आवाज़ हो
तुम स्त्री हो
तुम चंचल लहरों में उमड़ती पेट पे तोंदी हो
शीतल झील सी बहती चितवन पीठ हो
दिव्य नर्तकी की ठुमकती कमर हो
तुम अप्सरा का सपन यौवन पेट हो
दिव्य मोहिनी के थिर
कते पैर हो
तुम कामदेव का बाण हो
तुम दिव्य हो , देविका हो , दिन का उजाला हो
तुम स्त्री हो
तुम शेर की दहाड़ हो
योद्धाओं की शान हो
पृथ्वी की जान हो
सबका सम्मान हो
ब्रह्मास्त्र का बाण हो
तुम परमाणु हो
तुम दिव्य हो
तुम स्त्री हो
स्पर्श करते हैं पवन देव भी ,
तुम्हारी लम्बी, कमल के फूल की कोमल पंखुड़ियों जैसी उँगलियों का
तुम चंचल रात में , आधे चाँद की चमकती भौहें हो
तुम चाँद सा उज्जवल माथा हो
तुम हर दिशा से बहती सुगंध हो
तुम दिव्य आशीर्वाद का हाथ हो
तुम फूलों की बहार हो
तुम हर बंद कली का राज़ हो
तुम नयनों की पुतली की तेज हो
तुम शराब हो
हर आशिक़ का ख्वाब हो
तुम दिव्य हो
तुम संपूर्ण हो
तुम स्त्री हो
तुम स्त्री हो
तुम स्त्री हो
तुम मन की भावना हो
तुम्हारा हृदय शिशु की तरह कोमल है
तुम मस्तिष्क का तेज हो
तुम तेजस्विनी हो
तुम बादलों की गरज़ हो
तुम आसमान से गिरती हुई बिजली हो
तुम झलकते आँसुओं का शस्त्र हो
तुम फूल की पँखुडी पे ओस की बूंद हो
तुम प्रकृति का सौंदर्य हो
तुम अनंत हो
तुम स्त्री हो
तुम महान हो
तुम स्त्री हो
तुम आँखों की ज्योति हो
तुम ज़ुबान की मधुर बोली हो
तुम सिंगार का निखार हो
तुम शानदार हो
तुम चेहरा की रौनक हो
तुम चाल की लचकती हुई ठुमक हो
तुम तन की शक्ति हो
तुम ऊर्जा हो
तुम विश्वास हो
तुम स्त्री हो
भक्ति का एक मात्र पात्र हो
तुम दिव्य हो
तुम स्त्री हो!