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sunil saxena

Romance

2  

sunil saxena

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अर्चना

अर्चना

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तेरी याद आई तो फूल बन गए 

अपनी महक से ही तेरे पास आए

जो तूने छुआ तो तेरे माथे की बिंदिया बन गए

जो तू हँसी तो तेरे सुनहरे , काले बहकताए बलखाते बालों का कजरा बन गए

तूने जो छुआ हमें अपने सपनो में

तेरी आंखें का काजल बन गए

तेरी याद आई तो फूल बन गए

तेरे कोमल हाथों के एक स्पर्श के लिए तितली बन गए

हर ओर तेरी यादों की ही महक है

हर महक फूल बन गई

तेरे गालों का स्पर्श करने के लिए

तेरी हर अदा के लिए चंचल हवा बन गए

जो होले से तेरी लम्बी बलखाती पलकों को छूआ

तो आनंद से निकलने वाली तेरे मुख की हँसी बन गए

तू याद आई तो फूल बन गए 

तेरी यादों में आने वाले तेरे सपने बन गए

तू चली तो तेरे क़दमों की आहट बन गए

तू हँसे तो तेरी बहती महक बन गए

तू याद आई तो तेरे सपने बन गए

सवेरा हुआ तो कवि बन गए

जो रात आई तो 

तेरे दिव्य पैरों पे चढे फूल बन गए 

तू है अर्चना

तू है दिव्य

तू है अर्चना!

 



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