निकलता मुख से था धुआँ व सिमटे हुए थे लोग, मेरे भी माथे पे थी टोपी और सीने पे ओवरकोट। निकलता मुख से था धुआँ व सिमटे हुए थे लोग, मेरे भी माथे पे थी टोपी और सीने पे ओव...
कभी मेरी पूजा-अर्चना, मेरे मन मंदिर को रावण का नाम दे ठुकरा दिया। कभी मेरी पूजा-अर्चना, मेरे मन मंदिर को रावण का नाम दे ठुकरा दिया।