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Manju Rani

Tragedy Others

4  

Manju Rani

Tragedy Others

मेरी वफा

मेरी वफा

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उसने मेरी वफा को चिथड़े बना

हवा में उड़ा दिया।

और मेरी वफा, मुँह फाड़

देखती रह गई।

उसने कभी आपा खो

कमीज के बटनों को

जुदा कर दिया।

कभी चीख कर, चिल्ला कर

चुप करा दिया।

उसने मेरी वफा को

तार-तार कर दिया।

कभी कसमें खा रुला दिया।

कभी क्रोध से उत्पत्तित शब्दों

से अपमानित कर दिया।

उसने मेरी वफा को दर्दनाक

कहानी बना दिया।

कभी मेरे प्यार को समझौते

का नाम दे दिया।

कभी मेरी पूजा-अर्चना,

मेरे मन मंदिर को

रावण का नाम दे

ठुकरा दिया।

नए इश्क की चाह में उसने

मेरी वफा को अपने मन

से उतार दिया।

फिर भी सिलसिला थमा नहीं,

मुझ पर अंकुश पर

अंकुश लगा दिया।

मेरी वफा को बदचलन

का नाम दिया

और

उसे राधा और सीता के नाम से

संबोधित कर दिया।

इश्क में उम्र की कोई दहलीज

नहीं होती, कह

मुझे ही, मेरी दहलीज के

बाहर कर दिया।

उसने मेरी वफा का

अच्छा सिला दिया।

मैंने दिल से उसका घर अपना

समझ सज्जा दिया।

घर के हर कोने में सुख-शांति

को बसा दिया।

मैंने अपना सर्वस्व उस को

समर्पित कर दिया

और

उसने मेरी वफा को अपने दिल से

खारिज कर दिया।

मेरा आशियाँ अपने ही पैरो

तले रौंद दिया।

उसने मेरी वफा को चिथड़े बना

हवा में उड़ा दिया।


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