देश का मान बढ़ाती हिंदी
देश का मान बढ़ाती हिंदी
हिंद देश के वासी हम
हिंदी भाषा भाषी हम
सहृदय अपनाते हर भाषा और संस्कृति को
पर हिंदी की मिठास पर हमें है गर्व
इसमें लय है, सहज सुंदर अभिव्यक्ति श्रृंगार है
मधुरतम प्रवाह मय और भव्य विशाल है
संस्कृत से जन्मी यह, निज संतान रूपी
लोक भाषाओं से मालामाल है
देश का मान बढ़ाती हिंदी
इसके व्यवहार से होगी देश की संस्कृति की समृद्धि
हिंदी हिंदुस्तान का हृदय है
कवियों लेखकों की लेखनी का उद्गार है
निराला प्रेमचंद पंत का ये संसार है
इसके शब्दों में समाया संस्कार है
हिंदी ने हमें अपनाया, मातृभाषा को सादर आभार है
विदेशी भाषाओं की चकाचौंध में
इसकी चमक न फीकी पड़ने पाए
इसके प्रचार प्रसार और अधिकतम व्यवहार का
करें हम सब मिलकर उपाय
कार्यालयों में विद्यालयों में हमारी हिंदी प्रथम स्थान पाए
जिस सम्मान की अधिकारिणी है ये
निश्चय ही वो सम्मान पाए
हिंदुस्तान की हिंदी जग में गर्व से जानी पहचानी और मानी जाए