सबका सम्मान
सबका सम्मान
रात के पास अंधियारा है
दिन के पास उजाला
इन्होंने देखो अपनी अपनी काबिलयत से
खुद को है संवारा
ना अंधियारे को कम समझो
ना उजाले को अहम समझो
दोनों है जरूरी
इनके बिना ज़िन्दगी है अधूरी
रात सपने दिखाती है
दिन उसे पूरा करना सिखाता है
रात थपकी देके सुलाती है
दिन काम से थकाता है
थकने पर ही तो सोने का मज़ा आता है
दिन उजाला है, गर्म है,
रात काली है पर नर्म है,
दिन जोश है, जुनून है
रात सुकून है
दिन में सूरज की आग है
रात में प्रेम का राग है
रात दिन मिलकर ही तो
समय के पथ को
जीवन के रथ को आगे बढ़ाता है
जीवन में सब है जरूरी
सबका सम्मान करो ये सिखाता है।
