Nirupa Kumari

Fantasy

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Nirupa Kumari

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कल्पना

कल्पना

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चांद जैसी इक लड़की

चांदनी में लिपटी

सुंदर शीतल

कोमल निर्मल

जैसे हो किसी शायर की ग़ज़ल


चांद, क्या चलोगे तुम मेरे साथ...??

उसे देखने...

देख लोगे अपनी औकात...


वो रहती ज़मीं पे ही है

पर उसका है अपना आसमान 

खुशियों की छवि है वो

नूर है उसमें पारियों के समान


वो कवि की कल्पना है....

मुश्किल उसके मोह पाश से बचना है

क्या तुम बन पाओगे उसके समान

किसी का अभिमान. .? 



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