पास हैं हम
पास हैं हम
कितने पास हैं हम
पर महसूस होता है
बहुत दूर हैं
और ये एहसास यूँ ही नहीं है
बेमतलब सा तुम्हारे
होने का है
और यकीनन तुम भी मुझे
ऐसा ही समझते हो
यानी की बेमतलब सा।
तुम्हारा होना है
तुम्हारी अपनी जिम्मेदारियां
कुछ अपने लिये
कुछ समाज के लिये
और उन जिम्मेदारियों के बीच
तुम्हारी सक्रियता
यकीनन व्यस्त रखती है तुम्हें
और मैं सोचता हूँ
इतनी व्यस्तता की क्या जरूरत है
कितनी सहजता से निभ सकती हैं
जिम्मेदारियां
बेमतलब से व्यस्त तुम
और सहज सा व्यस्त मैं
पास पास
फिर भी बीच में है
पूरा संसार।
आखिर इससे अधिक दूरी
क्या हो सकती है
हमारे तुम्हारे बीच
साथ साथ पास रहते हुये भी।
फिर भी हमारा होना
महत्वपूर्ण है।
