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Shubham Amar Pandey

Tragedy Action Thriller

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Shubham Amar Pandey

Tragedy Action Thriller

शहीद

शहीद

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आज छलनी हो गई फिर एक छाती

आज फिर खामोश इक रखवाला हुआ है

आज सीने से बहा है रक्त कितना

हिमशिखर ने रक्त का गौरव छुआ है ॥


जिसकी गोदी में बहुत बालक पले है

वो धरा क्यूं आज पथराई हुई है

चांद सूरज भी जिन्हें माता पुकारे

शोकाकुल वह चुपचाप कोने में खड़ी है ॥


वक्षस्थल पर लहू का 

कतरा - कतरा जब गिरा था

धैर्य की उपमा धरा का 

वक्ष फटने से रहा था ॥


वार्ता अंतिम समय में

लाल से कुछ हो ना पायी

अनकहे कुछ शब्द अंतिम, सोचकर

कई रातें मां सो ना पायी॥


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