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Shubham Amar Pandey

Fantasy Thriller

4  

Shubham Amar Pandey

Fantasy Thriller

रहम करो भगवान

रहम करो भगवान

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आसमान से अग्नि बरसे

बरसे हैं अंगारे,

पशु-पक्षी सब व्याकुल हैं

व्याकुल हैं मानव सारे।

 

थोड़ी कृपा तो कर दो दिनकर

हम सब हैं तेरी संतान,

रहम करो भगवान

रहम करो भगवान।

 

सूख रहे सब बाग़-बगीचे

सूख गयी नन्ही कलियाँ भी,

सूख गए सब कुँए सरोवर

प्यासी हैं अब नदिया भी।

 

दया दृष्टि इन पर तो कर दो

व्याकुल हैं बेजुबान,

रहम करो भगवान

रहम करो भगवान।

 

थोड़ी तपिश तो अब कम कर दो

अब तो अपने क्रोध को छड दो,

मेघों को ये आदेश सुनाओ

धरती की छाती तर करवाओ।

 

सूख गयी धरती की छाती

मरुथल बना जहान,

रहम करो भगवान

रहम करो भगवान।


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