मन्दिर-मस्जिद
मन्दिर-मस्जिद


मन्दिर के सामने सजे मस्जिद जहान में
गीता का सजे लब्ज आयते कुरान में।
आपस में रंज हो ना मोहब्बत की गली में
बागे बहार हो सदा इमाने कली में।
हिन्दू के रहे दिल में तरन्नुम हदीश का
गीता का हो लब्जे बयाँ दिल मुसलमान में।
यमुना बहे ईमान की हो प्रेम की गंगा
अपना कफन है एक है ये एक तिरंगा।
अपनी जमीं है एक है ये एक ही वतन
सूरज और चाँद एक है है ये एक ही गगन।
सजता सभी पे ये है कफन कब्रें श्मशान में
जिसको कहे ईश्वर वही अल्लाह है यहाँ।
कहो चाहे कृष्ण राम या मौला है यहाँ
आपस में रहो प्रेम से हो रंज ना कभी।
करो फर्क ना कभी एक ही माँ की सन्तान में।