श्रम पुत्र
श्रम पुत्र
जी हाँ मैं श्रम पुत्र हूँ
आसानी से मेरा जन्म नहीं होता
हड्डियाँ गलानी पड़ती हैं
मन को समझाना पड़ता है
बड़ी मेहनत मशक्कत के
पश्चात ही मेरा जन्म होता है
मुझे जन्म देना हर किसी के
बस की बात नहीं
जिसने भी मुझे जन्म दिया
उसका जीवन संवर गया
मौन रहता हूँ
तन से बहता हूँ जहाँ भी गिरता हूँ
बीज की तरह पनपता हूँ और
वृक्ष की तरह फल देता हूँ
मैं हर तन में वास करता हूँ
कोई मुझे जन्म देकर बहाता है
कोई अंदर ही सुखाता है
यदि हर इंसान मुझे अपने
तन से बहायेगा
सच पूछो दुनिया का नक्शा
ही बदल जायेगा
जी हाँ मैं श्रम पुत्र हूँ स्वेद मेरा नाम है
बहते रहना मेरे जीवन का मूल मंत्र है
जितना ज़्यादा बहाया जाऊँगा
उतनी ही ख़ुशियाँ ऊपजाऊंगा
जी हाँ मैं गरीबी से अमीरी के फासले को
कम कर सकता हूँ
भूखे को रोटी खिला सकता हूँ
लेकिन उन्हें मुझे अपनाना होगा
और अपने तन से बहाना होगा