स्वतंत्रता संग्राम
स्वतंत्रता संग्राम


आज़ादी का जश्न मना लें
हुई बहत्तर साल की
ग़ुलामी को क्यूँ कर गिनना
बात है भूतकाल की
बात करें आज़ादी की तो
बहुत कुछ याद आता है
रंग दे बसन्ती चोला मेरा
भगत सिंह गुनगुनाता है
राजगुरू ,सुखदेव, भगत सिंह
फाँसी पर लहराता है !
बात करें आज़ादी की तो
ऊधम सिंह दिख जाता है
बदला लेने डायर से वो
असेम्बली में घुस जाता है
और चंद्र शेखर आज़ाद भी
वतन पर मिट जाता है !
करतार सिंह सराभा की फाँसी
चुभती है इक कील की भाँति
सत्रह वर्ष की उम्र में मात्र
क्रांतिकारी कहल
ाता है
जलियांवाला बाग का साका
शहीदों की याद दिलाता है !
स्वतंत्र भारत की जो तस्वीर
देख रही है आज की पीढ़ी
आज़ादी का जश्न मनाते
भूल चुकी है शहीदों की सीढ़ी
एक नहीं अनेकों हैं नाम
था ये स्वतंत्रता का संग्राम !
आज की पीढ़ी का है काम
वार गए जो वतन पे जान
मत भूलें उनका अहसान
आज़ादी का जश्न मनाते
तिरंगे की ऊंची रखें वो शान
और करें शहीदों को प्रणाम !
आज़ादी का जश्न मना लें
हुई बहत्तर साल की
ग़ुलामी को क्यूँ कर गिनना
बात है भूतकाल की !!