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Rinku Bajaj

Others

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Rinku Bajaj

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औरत ही मुझे रहने दो

औरत ही मुझे रहने दो

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मत बनाओ देवी मुझको

औरत ही मुझे रहने दो,

सदियों से ख़ामोश हूँ मै

मुझको अब कुछ कहने दो।

सांसे मेरी बुतों मे घुट गई

जिस्म से सांस को बहने दो,

थमी सी मुस्कान मूरत पर

ठहाका बन कर आने दो।

कटाक्ष मेरे संस्कारों पर

छोड़ो भी अब बस भी करो,

आलोचना मेरे लिबास की

मुझ तक सीमित रहने दो।

शादी करूँ या करूँ महोब्बत

फैसला मुझको करने दो,

तुम ही हो मेरा मसीहा

इस भ्रम को जाने दो।

हर जीवन की हूं मै रचिता

हस्ताक्षर मुझे ही करने दो,

नहीं जीना मुझे देवी बन कर

औरत बन कर जीने दो। 

एक सा जीवन मिला है सब को 

एक सा जीवन जीने दो !


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