Neha Pruthi

Inspirational

5.0  

Neha Pruthi

Inspirational

तू चलता चल

तू चलता चल

1 min
318


आज चलना ज़रूरी है

थकना, हारना, रुकना मंज़ूर नहीं

चलना भागना दौड़ना मजबूरी है।

मजबूरी ?

मजबूरी क्यों ?


मन क्यों नहीं करता ?

वो जिज्ञासा, वो इच्छा कहां गयी ?

वो कुछ करने की चाह

वो आशा की किरण कहां गयी ?


राही, तू रुक मत, तू चल

पर मंज़िल तो चुन पहले

लक्ष्य तो देख

ठान ले मन में

कि ये पाना ही है

फिर देख, तू क्या कर सकता है।


तू ज़िद तो पकड़

अपनी बात पर तो अड़

तू दुनिया बदल देगा

तू राह पर तो निकल

थमने का वक्त नहीं

क्योंकि आज चलना ज़रूरी है

बस लड़ना जरूरी है।


याद कर वो दिन

याद कर वो लगन

जिसके साथ घर से निकला था

वो चिंगारी कहां गयी ?

आग तो लगी ही नहीं ?


तू कहां खो गया ?

थककर कहीं सो गया ?

इंतज़ार मत कर किसी का

क्यों ? क्योंकि आज बढ़ना ज़रूरी है

सीढ़ी चढ़ना ज़रूरी है।


क्या ? तुझे किसी का साथ चाहिए?

पर क्यों ? अकेला आया था ना दुनिया में ?

कोई साथ था क्या ?

मां थी बस, पापा थे

वो आज भी हैं हमेशा रहेंगे।


तू सोच मत, बस पढ़ता चल

सीखता चल राही, तू बढ़ता चल

क्योंकि सांस लेना जरूरी है

कुछ करना जरूरी है।


तू जीते या हारे,

मंज़िल के करीब तो पहुंचेगा ना

मंज़िल मिले या ना मिले

कुछ तो सीखेगा ना।


राही चल, बस चलता चल

क्योंकि चलना जरूरी है,

आसमान छूना नहीं।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Neha Pruthi

Similar hindi poem from Inspirational