गरीबी
गरीबी
हमने देखा उनका जीवन जो फुटपाथों पे सोते हैं
अंदर ही अंदर पीर सहे अपनी किस्मत पे रोते हैं
उनको भी सुख से जीवन जीने का हक है
पर विधना ने उनके कैसे लेख लिखे।
जब अपने घर खुशियों की मने दिवाली है
तब उनके घर गम दीपक जलते ’है
वेदनाओं की सेज सजे जीवन में जिनके
जिसने ना महसूस किया खुशयों को कभी है।
ना देखा क्या अजब निराली दुनिया है
ख्वाब हकीकत में उनके कहाँ पलते हैं
तू चाहे भूगोल बदल डाले सारा
हिल जाये ब्रह्माण्ड सकल ये ध्रुव तारा।
अपनी अपनी किस्मत है अपनी बस्ती में
कुछ पाते हैं जीवन में तो कुछ खोते हैं
मन में ले संकल्प आस विश्वास जगा
चूमेगी कदम कामयाबी खुद दर पे आके।
करते है मेहनत जो संकल्प ले जीवन में
उन्हीं के जीवन में खुशियों के पल आते हैं !