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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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मेरा ख़ुदा मेरी माँ

मेरा ख़ुदा मेरी माँ

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रात और दिन में सज़दा करता हूं

मां तुझको में ख़ुदा माना करता हूं


तू ही मेरी जन्नत है, तू ही मेरा जहां है,

हरपल तेरे चरणों की पूजा करता हूं


मां तूने मेरा बहुत ही ख्याल रखा है,

में ये बात हरपल जेहन मे रखता हूं


मां तुझको में ख़ुदा माना करता हूं

जैसे ख़ुदा सबका ध्यान रखता है,


वैसे तू भी परिवार का ध्यान रखती है,

तुझमे खुदा को हमेशा देखा करता हूं


पूरा घर का काम करना,

फिर भी सदा ही मुस्कुराना,


मां तुझे में अपनी प्रेरणा माना करता हूं

रात के चाहे 2 ही क्यों न बजे हो


पर जब भी में पढ़ने बैठा करता हूं,

बिना आलस के तुझे देखा करता हूं


गहरी नींद को भी तू त्याग देती है

मेरी पढ़ाई के लिये तू चाय बना देती है


अब तुझे मां कहूँ

या खुदा तू ही बता,


तुझमें ख़ुदा से ज़्यादा ममता देख़ता हूं

धरती की एक ही कृति को शुद्ध देखता हूं


ओ मेरी माँ है, तुम सबकी मां है

चारों धाम भी उनकी रज के बराबर है


हर धाम, तीर्थ माँ के चरणों में मानता हूं

मां तुझको में ख़ुदा माना करता हूं।


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