प्रणाम मेरा
प्रणाम मेरा
पढ़ा लिखाकर बनाया लायक
दिया उन्हीं का है नाम मेरा।
अब अपने कर्मों से नाम रौशन
करूँ मैं जग में है काम मेरा।
हम उनकी कितनी भी सेवा कर लें
कभी उऋण हो नहीं सकेंगे,
नमन है वंदन है रोज़ चरणों
में माँ के अर्पित प्रणाम मेरा।
पढ़ा लिखाकर बनाया लायक
दिया उन्हीं का है नाम मेरा।
अब अपने कर्मों से नाम रौशन
करूँ मैं जग में है काम मेरा।
हम उनकी कितनी भी सेवा कर लें
कभी उऋण हो नहीं सकेंगे,
नमन है वंदन है रोज़ चरणों
में माँ के अर्पित प्रणाम मेरा।