भेड़िया धसान हो गया
भेड़िया धसान हो गया
भेड़िया धसान हो गया.......भेड़िया धसान हो गया।
कल तक सब बच्चे थे।
मन के भी सच्चे थे।
आज जवानी आई।
खूब रवानी आई।
फैशन का भूत चढ़ा संस्कार भूल गये
पैसा भगवान हो गया......भेड़िया धसान हो गया।
सोने की चिड़िया था।
जादू की पुड़िया था।
संतों का फेरा था।
ऋषियों का डेरा था।
देवों की धरती पर असुरों का राज काज
क्या हिंदुस्तान हो गया......भेड़िया धसान हो गया।
कैसा जीवाणु नया।
धरती पर फैल गया।
स्वर्
ण काल अस्त हुआ।
सब विकास ध्वस्त हुआ।
ठीक से कहें यदि तो बीस बरस पीछे का
आज वर्तमान हो गया......भेड़िया धसान हो गया।
इंसानी चेहरे थे।
गूंगे थे बहरे थे।
जाने क्या कर बैठे।
आपस में लड़ बैठे।
स्वार्थी हवाओं का छोटा सा झोंका था
आँधी तूफान हो गया.......भेड़िया धसान हो गया।
अनपढ़ थे जाहिल थे।
सुख-दुख में शामिल थे।
पहले जड़ काट दिया।
धर्मों में बाँट दिया।
जाने कब ये भगवा रंग बन गया हिन्दू
हरा मुसलमान हो गया..... भेड़िया धसान हो गया।