राज़ सारा उगल गए आँसू
राज़ सारा उगल गए आँसू
आँख से जब निकल गये आँसू।
दिल की दुनिया निगल गये आँसू।
लाख चाहा छुपा नहीं पाये,
राज़ सारा उगल गये आँसू।
सुर्ख़ रुखसार को छुआ पहले,
फिर लबों तक फिसल गए आँसू।
दर्द जब हद से बढ़ गया उसका,
पीर बनकर पिघल गए आँसू।
आ के टपके जो पाक दामन पर,
मोतियों में बदल गए आँसू।