STORYMIRROR

Manjul Manzar Lucknowi

Tragedy

2  

Manjul Manzar Lucknowi

Tragedy

राज़ सारा उगल गए आँसू

राज़ सारा उगल गए आँसू

1 min
222

आँख से जब निकल गये आँसू।

दिल की दुनिया निगल गये आँसू।


लाख चाहा छुपा नहीं पाये,

राज़ सारा उगल गये आँसू।


सुर्ख़ रुखसार को छुआ पहले,

फिर लबों तक फिसल गए आँसू।


दर्द जब हद से बढ़ गया उसका,

पीर बनकर पिघल गए आँसू।


आ के टपके जो पाक दामन पर,

मोतियों में बदल गए आँसू।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy