जब भी दीपावली मनाना
जब भी दीपावली मनाना
जब भी दीपावली मनाना थोड़ा ध्यान लगा लेना।
मन के द्वार खोलकर रखना पर्दे सभी हटा लेना।
बाहर भीतर आलोकित कोना - कोना हो जाएगा,
मन के आँगन में नन्हा सा प्रेम का दीप जला लेना।
लइया, चूरा, खील, बताशे भोग लगाने से पहले,
आत्म शुद्धि हित अपने मन से सारा कलुष मिटा लेना।
नफ़रत की दीवार गिरानी है तो पहल करनी होगी,
जो भी तुमसे रूठ गए हैं जाकर उन्हें मना लेना।
मेरे दिल में झाँक नहीं पाए तो कोई बात नहीं,
अपने अंदर झाँक सको तो थोड़ा शीश झुका लेना।