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Manjul Manzar Lucknowi

Tragedy

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Manjul Manzar Lucknowi

Tragedy

सामाजिक संवेदना पर गीत- बचा लो

सामाजिक संवेदना पर गीत- बचा लो

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बचा लो ओ मेरे भगवन बचा लो।

है डाँवाँडोल ये नैया संभालो।

बचा लो........


कहीं बेरोज़गारी कहीं पर भुखमरी है।

मेरे भगवन ये कैसी तेरी कारीग़री है।

सभी को लग रहा है घड़ी ये आख़री है।

बचा लो ..........


ज़माने भर के योद्धा इसी से लड़ गये हैं।

हज़ारों जल गए हैं हज़ारों गड़ गये हैं।

मुसीबत में न जाने ये कैसी पड़ गये हैं।

बचा लो...........


ज़मीं ये पाप से भी चलो माना है भारी।

तुम्हीं कर्ता व धर्ता तुम्हारी ज़िम्मेदारी।

सज़ा हमको मिले क्यों नहीं ग़लती हमारी।

बचा लो..........


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