Manjul Manzar Lucknowi

Inspirational

4.7  

Manjul Manzar Lucknowi

Inspirational

इंसान

इंसान

1 min
342


लानत है न बन पाए हम इंसान अभी तक।

जिंदा ही रहा हममें वो शैतान अभी तक।


उसने तो कहा था कि मोहब्बत से रहो तुम,

समझे न हम अल्लाह का फरमान अभी तक।


कुछ इल्म अता कर मेरे मौला तू उन्हें भी,

औरत को समझते हैं जो सामान अभी तक।


बच्चों की है माँ, बाप की बेटी, तेरी बीबी,

उसको न मिली कोई भी पहचान अभी तक।


परचम जो उठाए हुए शानों पे अदब का,

उनको न मिला कोई भी सम्मान अभी तक।


बे-बह्र ग़ज़ल कह के सुख़नवर वो बना, मैं,

गिनता ही रहा बैठ के अर्क़ान अभी तक।


बिकता हो जहाँ शब का सुकूं चैन सहर का,

मुझको न मिली कोई भी दुकान अभी तक।


टूटा है यकीं देख के "मंज़र" जो मिले सब,

एहसान  फ़रामोश  बेईमान अभी तक।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational