प्रहार करो
प्रहार करो
तब तक मत विराम करो
अविराम रहो अविराम रहो।
जब तक ध्येय प्राप्य ना हो
तब तक संघर्षों का आह्वान करो
तालाबों से थक कर
जीवन का मत अपमान करो।
हिम से हुआ है उद्भव जब।
तो सागर को प्रस्थान करो।
अविराम रहो अविराम रहो।
बढ़ कर तनिक लक्ष्य की ओर।
विजय नाद की हुंकार भरो।
नित लक्ष्य पे अपना ध्यान धरो।
प्रहार करो बस प्रहार करो।
संघर्ष भला मिलते किसको?
सत्य मार्ग पर चलना जिसको।
मृत्यु अटल जीवन का सच है।
उस सच को तुम स्वीकार करो।
प्रहार करो बस प्रहार करो।
क्षणभंगुर जीवन में
क्षण भर भी मत भयभीत रहो।
क्षण भी भय से यदि बीत गया।
तो समझो जीवन व्यर्थ गया।
भला कौन है ऐसा जग में
जिसके मैं आधीन रहूं।
स्वतंत्र हुआ था उद्भव मेरा
तो क्यों ना मैं स्वाधीन रहूं?
भयभीत भला कर सकता कौन ?
सत्य भला कब रह सकता मौन?
अहिंसा का प्रतिउत्तर यदि हिंसा हो।
हिंसा पर हिंसा का प्रतिघात करो।
प्रहार करो बस प्रहार करो।