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कलम बने तलवार

कलम बने तलवार

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कुछ ऐसा लिख दो कि ये पाप मुक्त संसार बने।

कलम बने तलवार और कविता फिर हुंकार भरे। 


राम रहीम आसाराम और रामपाल जैसे, फर्जी राम के नामों का,

कर दूँ कलम-कतल इन ढोंगी, बाबाओं का राधे जैसी माओं का। 

फिर थोड़ा आगे बढ़कर, अंधे भक्तों को समझाना है,

कलुषित विचारों से इनके मन को, बचाना और हटाना है। 

कुछ ऐसा लिख दो जिसे पढ़कर, अनुयायी भी समझदार बने.

कलम बने तलवार और कविता फिर हुंकार भरे। 


चीन की गीदड़ धमकी से भी, हम अटल रहे और अडिग रहें,

इतने उकसावे पर भी हम, डटे रहे और खड़े रहे। 

कलमवार जब हुआ सही से, कदम उसी ने खिंच लिए,

होश ठिकाने आये उसके, अहंकार सब भूल चले। 

कुछ ऐसा लिख दो कि सब, चीनी माल का बहिष्कार करें

कलम बने तलवार और कविता फिर हुंकार भरे। 


एक अपने नापाक पड़ोसी का सीमा पर, ओछी हरकतें करना जारी है,

लगता है अब कलम धार से भारत का नक्शा बदलने की बारी है। 

तलवार उठी इस बार अगर तेरा नामों-निशान भी नहीं होगा

भारत का 'भा' फिर, इस्लामाबाद से लिखना शुरू होगा। 

कुछ ऐसा लिख दो जिसे सुनकर, नापाक कभी न अहंकार करे

कलम बने तलवार और कविता फिर हुंकार भरे। 


जनाधार प्रेरित आरक्षण से, योग्यता बेचारी रोती है,

निराधार आरक्षण पद्धति, किन को लाभान्वित करती है। 

कलम चलाकर आरक्षण के नए, नियमों को बुनना होगा,

समाज मे जो दीवारें हैं, कलम हथौड़े से तोड़ना होगा।

कुछ ऐसा लिख दो कि समता ही जीने का अधिकार बने

कलम बने तलवार और कविता फिर हुंकार भरे। 


रेप, हत्या जैसी घटनाओ पर, राजनीति शुरू कर देते हैं,

बड़े-बड़े भ्रष्टाचारी नेता, पल भर में सरकार गिरा भी देते हैं। 

कैसे पा जाते है सब कुर्सी, ये कलम को ही लिखना होगा,

कलम की आरी से कुर्सी के, पावों को कटना होगा। 

कुछ ऐसा लिख दो कि राजनीति, कभी न भ्रष्टाचार करे,

कलम बने तलवार और कविता फिर हुंकार भरे। 


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