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पता ही न चला

पता ही न चला

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उन आँखों में खोया था, बड़ी देर तक उस दिन

डूबा था या कैद था, पता ही न चला !!

रूककर वो मुस्कराए थे, फिर से वो मोड़ पर,

अदा थी या इशारा था, पता ही न चला .!!

गुजरे थे कई बार, वो जब पास से मेरे ..

कहना था या कुछ सुनना था, पता ही न चला ..!!

जब भी मिली नज़रे, वो पलके गिरा लिए,

शरमाई थी या घबरायी थी, पता ही न चला !!

गुनगुनाया करते थे, वो अक्सर देखकर मुझको

ऐसा मै था या कोई और भी था, पता ही न चला !!

बात आमने-सामने, हो ही गयी इक दिन ..

पूंछा क्या बताया क्या, पता ही न चला !!

संवरने लगी जादा, उस दिन के बाद से

सुन्दर दिखना था या दिखाना था, पता ही न चला !!

बहाने बात करने को, यूँ ही मिलने लगे उनको,

बात थी या कोई और ही बात थी, पता ही न चला !!


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