उनकी हाथों की लकीरें हिलकर जैसे महाकाव्य पाठ कर रही हों मेहनत का...ज़िंदगी का...रिश्तों का...। उनकी हाथों की लकीरें हिलकर जैसे महाकाव्य पाठ कर रही हों मेहनत का...ज़िंदगी ...
विकट विघ्न था पर निस्तारण हेतु युक्ति सुझाई। विकट विघ्न था पर निस्तारण हेतु युक्ति सुझाई।
सागर न सही बूँद ही बहुत है पानी के लिए सागर न सही बूँद ही बहुत है पानी के लिए
राम की मर्यादा का पालन, रामचरितमानस का सार, पढ़ कर शांत हो जाता है मन, कुटुंब लगे सारा संसार। राम की मर्यादा का पालन, रामचरितमानस का सार, पढ़ कर शांत हो जाता है मन, कुटुंब...
कविता के विषय और अहसास सब जैसे अचानक ठहर गए। कविता के विषय और अहसास सब जैसे अचानक ठहर गए।
कल्पना शक्ति बढ़ जाती, मन मंदिर, ऐसे में महाकाव्य भी लिख जाता हूं।। कल्पना शक्ति बढ़ जाती, मन मंदिर, ऐसे में महाकाव्य भी लिख जाता हूं।।