STORYMIRROR

एस डी जोशी

Others

3  

एस डी जोशी

Others

भाव

भाव

1 min
146

सूरज न सही दीया भी बहुत है रोशनी के लिए

आभास सूरज का होगा।

सागर न सही बूँद ही बहुत है

पानी के लिए

गागर में समाहित सागर होगा।

पर्वत न सही टीले ही बहुत हैं

चढ़ाइयों के लिये

अन्दाज पर्वतों का होगा।

जोड़ की चार लाइनें ही बहुत हैं

कविता साहित्य के लिये

प्रस्तुति का भाव महाकाव्य सा होगा।


Rate this content
Log in

More hindi poem from एस डी जोशी