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YOGESH KUMAR SAHU

Tragedy

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YOGESH KUMAR SAHU

Tragedy

वीरान सी हो गई जिंदगी....

वीरान सी हो गई जिंदगी....

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तुम गई तो मानो वीरान सी हो गई जिंदगी,

अब तो सिर्फ रेगिस्तान है, और

मानो रेत के सैलाब में उलझा हुआ मैं...

और राह देखता मेरी अब श्मशान है।।

तुम गई तो मानो वीरान सी हो गई जिंदगी....

      

लगता है जैसे कल ही की तो बात थी,

 संग तुम्हारे मैंने कई ख्वाब सजाया था

 रखकर सर तुम्हारी गोद में,

 मैंने सुकून ही सुकून पाया था।

 तुम्हारी मुस्कुराहट से होती थी सुबह मेरी, और

 ढलती खुशमुना शाम थी।

 अब नहीं होती मुझसे किसी की बंदगी

  तुम गई तो मानो वीरान सी हो गई जिंदगी....

    


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