हम न बदल पाए....
हम न बदल पाए....
बदल गया सबकुछ,
बस हम न बदल पाए।
छिपाने अपने दर्द, कई दफे
चेहरे पर मुस्कान झूठी भी है सजाए।
कब तलक इसी तरह जीना है,
सोच रहा हूं....
खड़ा करके गैरों के बीच खुद को,
न जाने क्यों नोंच रहा हूं।।
कई जख्म दफ्न अब तक है,
दिल के तहखाने में...
तलाश अब भी है उनकी,
जिन्हे ये राज बेझिझक हम बताए।।
बदल गया सब कुछ,
बस हम न बदल पाए।