प्रकृति

प्रकृति

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कभी तुझे देखकर कुछ खोने का एहसास होता है,

कभी तुझे देख फिर उसे पाने का एहसास होता है।


कभी तू नई दुल्हन सी सज कर, नए अरमान जगाती है,

कभी तू भँवरों के ख़ातिर नये फूल खिलाती है।।


कभी तू माता बनकर नये फूल को जन्म दे जाती है,

पालन करके उसका, ख़ुद को उससे जुदा कर जाती है ।


फिर एक समय आता है, जब तू खुद को खत्म करके

बूढ़ी माँ हो के मर जाती है।।



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