मुस्कान
मुस्कान


पर अधरों पे मुस्कान सजाने वाले
अंदर तक टूटें होते हैं, सबको हँसाने वाले
तुम क्या जानो, तुमने सिर्फ़ हमारी मुस्कान देखी हैं
हमसे पूछो, हमने कितनी रातें वीरान देखी हैं
हमारी रातों की इस रोशनाई पे सवाल उठाने वाले
क्या जानेंगे हमने कितनी सहरें सुनसान देखी हैं
की जुगनू से जलते हैं उम्र भर, जिंदगियाँ रोशन बनाने वाले
अंदर तक टूटें होते हैं, सबको हँसाने वाले
लगता है जिन्हें जीवन हमारा सौग़ात भरा
ज़ख़्म नहीं देखें हमारे, सिर्फ़ शोहरतें देखी हैं
हमारे चेहरे की छाइयों पे ऊँगली उठाने वालों
दर्पण नहीं देखा तुमने सिर्फ़ तस्वीरें देखी हैं
की दिल हारे होते हैं सब पे प्यार लुटाने वाले
अंदर तक टूटें होते हैं, सबको हँसाने वाले