STORYMIRROR

Vandana Singh

Romance

4  

Vandana Singh

Romance

नाराज़ क्यों हो?

नाराज़ क्यों हो?

1 min
245


नाराज़ क्यों हूँ?

क्या जानते नहीं ? 

या जानकर भी 

मानते नहीं? 

तुम मेरे करीब रहते हो

धड़कनों की तरह 

फिर भी पूछते हो 

सवाल यूँ  

अजनबियों की तरह! 

नाराज़ क्यों हो? 


नाराज़ होना तुमसे 

लाजमी है मेरा 

हर दर्द का पल 

हमने साथ में है जिया

मैं दर्द में तुम्हारे 

तुम्हारा अश्क पी गयी 

आज मेरे दर्द को 

तुम समझ कर 

समझे नहीं 

मुँह फेर कर मुझसे 

तुम खुद ही सवाल 

कर लिये

नाराज़ क्यों हो? 

कह कर बस चल दिये


थोड़ा रुक कर 

मेरा हाथ अगर थामते

मेरी आँखों में 

अपनी आँखें 

फिर से डालते 

चेहरे को मेरे पढ़ने का 

वक़्त ज़रा निकालते

मिल जाते ज़वाब 

फिर सवाल नहीं पूछते! 

हम भी तुमसे मेरे 

प्रियतम 

बार बार नहीं रूठते! 




Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance