चाटुकारिता धर्म
चाटुकारिता धर्म
हद होती है बोलने की, चुप रहने की
सफ़ल होने की, हार जाने की !
समझिए अनहद है !
नाम चाटुकारिता है,
इससे आजकल सब मिलता है,
पद ,प्रतिष्ठा, इज्जत, रूपया - रूतबा,
धन -दौलत और तो और मिल ही जाती है ले दे के मान और सम्मान !
अब बस भी करें और कितनी करें इस
पुनीत कला( चाटुकारिता) की आत्मीय बखान !