घर - घर में मर्यादा और संस्कारों, की होली जल रही है ! घर - घर में मर्यादा और संस्कारों, की होली जल रही है !
साथी हो सोनार सा जिसे फख़्र हो अपनी शुद्धता पर खरे सोने सा, उसकी हथेलियों पर बाँध लूँ आशियान... साथी हो सोनार सा जिसे फख़्र हो अपनी शुद्धता पर खरे सोने सा, उसकी हथेलियों ...
एक दीमक के जैसे खाते रहते हैं अंदर ही अंदर एक दीमक के जैसे खाते रहते हैं अंदर ही अंदर
फिर आज इसकी मज़बूती, क्यों सबसे पीछे रह जाती है ? फिर आज इसकी मज़बूती, क्यों सबसे पीछे रह जाती है ?
बिना तराशे आकार लेता है इक जंगल बिल्कुल ही जंगली जंगल बिना तराशे आकार लेता है इक जंगल बिल्कुल ही जंगली जंगल
एहसासों की खुशबू से महक उठे रसोई, आशाओं का झूला झूले आंगन में परी। एहसासों की खुशबू से महक उठे रसोई, आशाओं का झूला झूले आंगन में परी।