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Pooja Agrawal

Abstract

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Pooja Agrawal

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आशियाना

आशियाना

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ख्वाबों के शहर में, आशियाना हो।

मोहब्बतों की दीवारें सजती रहे

जज्बातों का खजाना भरा रहे

विश्वास की आती रहे पुरवाई ,

रोज प्यार के रोशनदान से


न‌ लगे दीमक किसी की नजर की,

आशीष और दुआओं का रोज आये

एहसासों की खुशबू से महक उठे रसोई,

आशाओं का झूला झूले आंगन में परी।


दिलों के उपवन में रोज ख़ुशियों के फूल खिले,

उमंग और उन्माद से भरा रहे जीवन

मीठी मीठी नोकझोंक हो, ना शिकायतें ना गिले,

प्रेम और त्याग विराजमान रहे बैठक में हमारी

समर्पण और संतोष का शिशु लेता रहे पालने में

किलकारी।

यही मंगल कामना करती हूं तुम्हारे आगे बिहारी

पूरी कर दो यह कामना अरज सुन लो हमारी।



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