अंधे रास्ते
अंधे रास्ते
वे रास्ते
जो कहीं नहीं पहुंचते,
मीठे धीमे जहर से होते हैं,
गला देते हैं पाँव आधे रास्ते में ही
लौटना क्या बढ़ना क्या।
ये बढ़ते जिस्म में
एक दीमक के जैसे
खाते रहते हैं अंदर ही अंदर
बचेगा क्या रहेगा क्या।
दूर रहना,
न देखना, न सोचना
इन रास्तों को।
