शिक्षा का मापदंड !
शिक्षा का मापदंड !
क्यों बदल रहा है ? शिक्षा का मापदंड !
लेने के बाद भी खोखला है,
और, जो दे रहा है,
वह भी तो दीमक से ग्रसित है।
शिक्षा के नाम पर investment !
देखो, क्या चक्र चल रहा है !
भविष्य को खाता, यह वायरस,
सर उठाकर खड़ा है।
स्कूल हो या घर, हर जगह अंकों की होड़ लगी है,
जीवन मूल्यों से परे किताबी ज्ञान !
और उसमें भी महत्त्व पूर्ण प्रश्नों की लगन लगी है।
शिक्षक भी तो शिक्षा के नाम पर कारोबार चला रहे हैं,
अंक बाँट- बाँट कर उपाधियाँ पा रहे हैं।
‘शिक्षा’ मात्र ‘शब्द’ नहीं ! अस्तित्व बनाती है
फिर आज इसकी मज़बूती, क्यों सबसे पीछे रह जाती है ?