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paramjit kaur

Tragedy

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paramjit kaur

Tragedy

शिक्षा का मापदंड !

शिक्षा का मापदंड !

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क्यों बदल रहा है ? शिक्षा का मापदंड !

लेने के बाद भी खोखला है, 

और, जो दे रहा है,

वह भी तो दीमक से ग्रसित है। 


शिक्षा के नाम पर investment !

देखो, क्या चक्र चल रहा है !

भविष्य को खाता, यह वायरस,

सर उठाकर खड़ा है। 


स्कूल हो या घर, हर जगह अंकों की होड़ लगी है,

जीवन मूल्यों से परे किताबी ज्ञान !  

और उसमें भी महत्त्व पूर्ण प्रश्नों की लगन लगी है। 


शिक्षक भी तो शिक्षा के नाम पर कारोबार चला रहे हैं,

अंक बाँट- बाँट कर उपाधियाँ पा रहे हैं। 


‘शिक्षा’ मात्र ‘शब्द’ नहीं ! अस्तित्व बनाती है  

फिर आज इसकी मज़बूती, क्यों सबसे पीछे रह जाती है ?


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